औरंगजेबाला २७ वर्षे उत्तर हिंदुस्थानापासून दूर ठेवणारे संभाजीराजा
भाग ५
शेर शिवा का छावा था । देश धरम पर मिटनेवाला शेर शिवा का छावा था । महापराक्रमी परमप्रतापी, एक ही शंभू राजा था ।। तेज:पुंज तेजस्वी आँखे, निकल गयी पर झुका नही । दृष्टी गयी पर राष्ट्रोन्नती का, दिव्य स्वप्न तो मिटा नही ।। दोनो पैर कटे शंभूके, ध्येयमार्ग से हटा नही । हाथ कटे तो क्या हुआ, सत्कर्म कभी भी छुटा नही ।। जिव्हा काटी खून बहाया, धरम का सौदा किया नही । शिवाजी का ही बेटा था वह, गलत राह पर चला नही ।। रामकृष्ण, शालिवाहन के, पथसे विचलित हुआ नही ।। गर्व से हिंदू कहने मे, कभी किसी से डरा नही ।। वर्ष तीन सौ बीत गये अब, शंभू के बलिदान को । कौन जिता कौन हारा, पूछ लो संसार को ।। मातृभूमी के चरण कमल पर, जीवन पुष्प चढाया था । है दूजा दुनिया में कोई, जैसा शंभूराजा राजा था ।।
No comments:
Post a Comment