हिंदुस्तानातील मराठे आणि त्यांनी स्थापन केलेले मराठा साम्राज्य याचा शोध
भाग ४१९
मराठो का गौरवशाली इतिहास
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मराठो के कुळस्वामी श्री खंडोबा पूणे जिल्हा जेजुरीगढ स्थित है! जिसके दर्शन करना हर मराठा के लिये अनिवार्य है , विशेषता गृहस्थाश्रम प्रवेश पश्चात तो जाना ही पडेगा !!!
मराठो की विशेष धर्म परंपरा है जिसमे हर घर मे एक भगवान घर होगा जिसकी पुजा करने का अधिकार घर के बूजुर्ग कार्यभारी को है !यह देवघर को मराठी मे देव्हारा नाम से जाना जाता है जिसके अंदर श्री खंडोबा अद्य श्री जोतिबा / भैरुबा मध्य , ऊसके बाद कुळस्वामीनी जो गौत्रो के हिसाब से शुशोभीत है अंत मे परिवार का एक गुजरा हुआ पित्तर शुशोभित है जिसे विर कहा जाता है ! यह सभी देवता चांदि से तथा बहार से पीतल से बना के सजाया जाता है ! किसी कीसी घर मे पांच भगवान भी मिलते है लेकीन वह घर के कीसी सदस्य की अकाल मृत्यू का परीणाम है जो दो विर बना के रखने पडते है वैसे कुळदेव चार है ! मराठा भवानी ,महालक्ष्मी , कालिका, चंण्डि, सप्तश्रृंगि, योगेश्वरी, रेणुका , जैसी पाताळलोक मे जिनका ईतिहास संबंध रखता है और फिर नाथ संप्रदाय मै भी वह देवता आते है वहि ज्यादातर कुळस्वामीनि है !! भवानी खंडोबा की बहन है खंडोबा मल्हार ,मार्तंड भैरव, कानडा मल्हारी जैसे नामो से भी विख्यात है ! कर्णाटक के श्री क्षेत्र मेहलार लिंगम से जेजुरी गढ तक मल्हारी विरत्व की शिक्षा देने भ्रमन पर निकले जिनका अदर्श ले के मराठो ने विरत्व की परंपरा आदर्श श्री खंडोबा की वेशभुषा धारणकरते हुए अटक की चिनाव नदी का पानी अपने घोडो को पिलाया !
खंडोबा की वेशभुषा मराठा पगड़ी ,तलवार जेसि मुछे ,कान मे मराठा कर्णकुण्डल पगुरे ,गले मे गेठा , ललाट पर हल्दी शिवगंद, जटाधारी ,मराठा अंगरखा परिधान हाथ मे खंडा तलवार जो मराठा सुभेदार को लागु है , दूसरे हाथ मे ढाल और जब घोडे पर सवार तब सफैद घोडा जिसके माथे पर नीला तुरा शूशोभित है ! मराठो का शादी का रीवाज खंण्डोबा की शादी जेसा हि है ! खंण्डोबा महादेव का अवतार है । कैसे ? यह अवतार धारण कीया हर कथा रोमांचभरि है !
मराठो की युद्ध निति भीखंडोबा की आन (कसम) (शपत) है खंडोबा का जयकारा के साथ ऊसका अद्य बेल भण्डार (हल्दी ) पर हाथ रखकर आन (शपत) ली जाती थी और खुब खुण की होलि मराठा खेलते थे ! जिसने बेलपत्र ऊठाया और भण्डार माथे पर लगाया वह युध्द के लिए तैयार हुआ माना जता है ! विरों की यह देवता जिसे समस्त मराठो को परम वैभव पर पहूंचाया ! ऊत्तर विजय मे गये और ऊधर हि बसे मराठा भाईयो को अनुरोध है शादि के पश्चात अगर आप जेजुरी ,पालि (महाराष्ट्र ) नही जाते तब तक हम मराठा का गृहस्थाश्रम आधा माना जाता है ऊधर पत्नी को कम से कम पाच सिढि कंधे पे लेके चलना पडता है !
लिखने जेसा बहुत कुछ है ! किल्ला जेजुरी , छत्रपति शिवाजी शहाजी मिलन , नरविर ऊमाजी नाईक , छत्रपती शाहुमहाराज , जेसे अनेक विरोंका जाज्वल्य ईतिहास मोजुद है !
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