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Friday, 6 October 2023
हिंदुस्तानातील मराठे आणि त्यांनी स्थापन केलेले मराठा साम्राज्य याचा शोध भाग ४३१
हिंदुस्तानातील मराठे आणि त्यांनी स्थापन केलेले मराठा साम्राज्य याचा शोध
भाग ४३१
छत्तीसगढ़ में मराठा शासन---------------
10वीं सदी के अंतिम समय से लेकर 18वीं सदी के मध्यांत तक लगभग 752 वर्षों तक छत्तीसगढ़ प्रदेश पर कलचुरी राजवंशों की सत्ता रही | इस राजवंश का गौरवपूर्ण इतिहास रहा |सन 1752 ई. में सत्ता का अंत हुआ|
कलचुरी राजवंश के विभाजन के कारण मराठा प्रभुत्व स्थापित हुआ | कलचुरी विभाजन के पश्चात एक शाखा रतनपुर में तथा दूसरी शाखा ने रायपुर में शासन किया | अतः विभाजन के कारण मराठों को आक्रमण करने का प्रोत्साहन मिला |कलचुरियों का सैनिक प्रबंधन दोषपूर्ण था | कलचुरी वंश मराठा सेनापति भास्कर पन्त के एकाएक आक्रमण का सामना नहीं कर पाया और कलचुरी शासक ने समर्पण कर दिया |
मराठा आक्रमण के समय कलचुरी में रघुनाथ सिंह शासक थे | ये अयोग्य शासक साबित हुए | भास्कर पन्त रघुजी प्रथम का सेनापति था | 1741 में रतनपुर पर आक्रमण कर कलचुरी शासक रघुनाथ सिंह को पराजित किया तथा 1745 में कलचुरी मोहन सिंह को शासक बनाया |मोहन सिंह की मृत्यु के पश्चात रघुजी के पुत्र बिम्बा जी भोंसले को रतनपुर का शासक नियुक्त किया | पराक्रमी सेनापति भास्करपन्त ने राज्य विस्तार के लिए तथा छत्तीसगढ़ पर प्रभुत्व स्थापना के लिए आक्रमण किया | तत्कालीन समय में कलचुरीवंश का शासन था जो शक्तिहीन तथा विभाजित था | इनमे मराठा सेनापति भास्कर पंत को रोकने की शक्ति नहीं थी | अतः मराठों से पराजित हुए | राजा रघुनाथ सिंह पुत्र की असमय मृत्यु से शारीरिक एवं मानसिक रुप से अस्वस्थ थे अतः उन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया |
आत्मसमर्पण के पश्चात मराठा सेनापति ने उसके साथ क्रूरता का व्यवहार नहीं किया | सेनापति ने राजकोष की सभी सम्पति को हस्तगत कर लिया | भास्कर पन्त ने राजा रघुनाथ सिंह को मराठा शासन का प्रतिनिधि शासक घोषित किया तथा सेना के साथ कटक विजय के लिए प्रस्थान किया | कटक में भास्कर पन्त की हत्या हो गई| इससे सेना बिखर गई | अब रघुनाथ सिंह मराठा शासन की अधीनता से मुक्त हो गया | तब रघुजी प्रथम बंगाल से रींवा लौटते समय रतनपुर आये तथा रघुनाथ सिंह को पदच्युत कर मोहन सिंहको गद्दी पर बिठा दिया | राजा रघुनाथ सिंह को जीवन यापन के लिए 5 गाँव दिये लेकिन वह ज्यादा दिन तक जीवित नहीं रह पाया | मोहनसिंह का शासन 1758 ई. तक चलता रहा | उसकी मृत्यु के बाद मराठों ने प्रत्यक्ष शासन स्थापित किया |
इस प्रकार अपमानजनक रूप से छत्तीसगढ़ के हैहयवंशीय कलचुरी वंश का प्रभुत्व समाप्त कर दिया गया | इसके स्थान पर नागपुर के भोसले शासन का प्रभुत्व की स्थापना हुई |
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